संयुक्त राष्ट्र आयोग ने इसराइल पर ग़ज़ा में जनसंहार के आरोप लगाए, इसराइल ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया
संयुक्त राष्ट्र के एक जांच आयोग ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि इसराइल ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ जनसंहार कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में इसराइली सेना की कार्रवाइयों में ऐसे कई कदम उठाए गए जो अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत जनसंहार की श्रेणी में आते हैं।
रिपोर्ट में पाँच में से चार बिंदुओं को आधार माना गया है, जिनमें – समूह के लोगों की हत्या करना, गंभीर शारीरिक और मानसिक नुक़सान पहुँचाना, समूह को नष्ट करने के हालात पैदा करना और जन्म रोकने की नीतियां शामिल हैं। आयोग ने इसराइली नेताओं के बयानों और सेना की कार्रवाई को जनसंहार के इरादे का सुबूत बताया है।
हालांकि, इसराइल ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। उसके विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को “भ्रामक और झूठा” करार दिया और कहा कि यह उसकी आत्मरक्षा और सुरक्षा के अधिकार पर हमला है।
हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, सितंबर 2025 के मध्य तक ग़ज़ा में जारी अभियानों में लगभग 65,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकांश आम नागरिक हैं। वहीं, 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले में इसराइल में 1,200 लोगों की मौत हुई थी और 251 नागरिकों को बंधक बना लिया गया था।
इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी बहस छिड़ गई है। तुर्की, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका समेत कई देश व मानवाधिकार संगठन इसे जनसंहार करार दे रहे हैं। दक्षिण अफ़्रीका ने दिसंबर 2023 में इसराइल के ख़िलाफ़ जनसंहार कन्वेंशन के उल्लंघन का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में दायर किया था। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि फ़लस्तीनियों को “जनसंहार से सुरक्षा का अधिकार” है।
हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे पश्चिमी सहयोगियों ने इसराइल की कार्रवाइयों को औपचारिक रूप से जनसंहार कहने से परहेज़ किया है। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि इसका अंतिम फ़ैसला इतिहासकार और न्यायिक संस्थाएं करेंगी।
ग़ौरतलब है कि “जनसंहार” को अंतरराष्ट्रीय क़ानून का सबसे गंभीर अपराध माना जाता है। इसकी परिभाषा 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए जनसंहार कन्वेंशन में दी गई है। अब सवाल यह है कि क्या ग़ज़ा की मौजूदा तबाही को अंतरराष्ट्रीय अदालत औपचारिक रूप से जनसंहार घोषित करती है या नहीं।
यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में आगे की कार्यवाही के लिए अहम बन गया है।