दुर्गा पूजा 2025: महत्व, इतिहास और परंपराएँ
जानें दुर्गा पूजा 2025 का महत्व, इतिहास, परंपराएँ और घर पर इसे सही तरीके से मनाने के आसान उपाय।

दुर्गा पूजा क्या है?
दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा को समर्पित है। यह पर्व हर साल आश्विन महीने (सितंबर–अक्टूबर) में नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है।
भारत में खासकर पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार और झारखंड में इसका भव्य आयोजन होता है। पर आजकल यह उत्सव पूरे भारत और विदेशों में बसे भारतीय समुदाय द्वारा भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का इतिहास और महत्व
- पौराणिक मान्यता है कि माँ दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी।
- यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
- देवी दुर्गा को शक्ति, साहस और भक्ति की देवी माना जाता है।
👉 इसलिए यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, धैर्य और विश्वास से उनका सामना किया जा सकता है।
दुर्गा पूजा कब मनाई जाती है? (Durga Pooja 2025 Date)
दुर्गा पूजा नवरात्रि के छठे दिन (षष्ठी) से लेकर दसवें दिन (विजया दशमी/दशहरा) तक मनाई जाती है।
- षष्ठी: देवी की प्रतिमाओं की स्थापना
- सप्तमी: कलश स्थापना और पूजा
- अष्टमी: महाअष्टमी और कुंवारी पूजन
- नवमी: महानवमी पूजा और हवन
- दशमी: विसर्जन और विजयादशमी
दुर्गा पूजा की प्रमुख परंपराएँ
1. देवी प्रतिमा की स्थापना
सुंदर पंडालों में मिट्टी की माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है।
2. पंडाल सजावट
- रंग-बिरंगी लाइटिंग
- पारंपरिक कला और हस्तशिल्प
- थीम-आधारित पंडाल
3. पूजा-पाठ और मंत्रोच्चार
पंडित विशेष विधि से पूजा करते हैं और लोग मंत्रोच्चार, भजन और आरती में शामिल होते हैं।
4. सांस्कृतिक कार्यक्रम
रात में नृत्य, नाटक, संगीत और रामलीला जैसी प्रस्तुतियाँ आयोजित होती हैं।
5. विजया दशमी
अंतिम दिन माँ की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है और लोग “शुभो विजय” कहकर एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
घर पर दुर्गा पूजा कैसे करें?
अगर आप पंडाल नहीं जा पाते तो घर पर भी माँ दुर्गा की पूजा आसानी से कर सकते हैं:
- कलश स्थापना करें – मिट्टी के कलश पर आम्रपल्लव और नारियल रखकर रखें।
- माँ दुर्गा की तस्वीर/प्रतिमा स्थापित करें।
- साफ-सफाई – घर को अच्छी तरह स्वच्छ करें।
- पूजा सामग्री – फूल, दीपक, अगरबत्ती, फल, नारियल, लाल चुनरी, सिंदूर।
- मंत्र और आरती – “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- कन्या पूजन – अष्टमी या नवमी के दिन छोटी बच्चियों को भोजन कराएँ और आशीर्वाद लें।
दुर्गा पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
❓ दुर्गा पूजा और नवरात्रि में क्या अंतर है?
👉 नवरात्रि पूरे भारत में मनाई जाती है जिसमें देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। दुर्गा पूजा खासकर पूर्वी भारत में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापना और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ होती है।
❓ दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है?
👉 यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय और स्त्री शक्ति की महिमा को दर्शाता है।
❓ क्या घर पर बिना प्रतिमा के दुर्गा पूजा हो सकती है?
👉 हाँ, केवल माँ दुर्गा की तस्वीर या चित्र लगाकर भी श्रद्धा से पूजा की जा सकती है।
दुर्गा पूजा के लाभ और सीख
- आध्यात्मिक शांति – पूजा और भक्ति से मन को शांति मिलती है।
- सामाजिक एकता – पंडालों में सभी लोग मिलकर त्योहार मनाते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व – लोककला, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन होता है।
- आत्मविश्वास और साहस – यह त्योहार हमें सिखाता है कि कठिन समय में भी हार नहीं माननी चाहिए।
दुर्गा पूजा मनाने के लिए उपयोगी टिप्स
- भीड़भाड़ वाले पंडाल में जाते समय मास्क और सैनिटाइज़र का प्रयोग करें।
- परिवार और दोस्तों के साथ पूजा का आनंद लें।
- घर पर बच्चों को पूजा की परंपराओं के बारे में बताएं।
- सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेश साझा करें।
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भक्ति, शक्ति और एकता का प्रतीक है। चाहे आप इसे पंडाल में जाकर मनाएँ या घर पर, सबसे महत्वपूर्ण है श्रद्धा और विश्वास।
👉 इस बार दुर्गा पूजा 2025 पर माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि आपके जीवन से हर बुराई दूर हो और सुख-समृद्धि बनी रहे।