एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के हाई-वोल्टेज मैच के बाद जीत से ज़्यादा चर्चा उस पल की हो रही है, जब भारतीय खिलाड़ियों ने मैच के बाद विरोधी टीम से हाथ नहीं मिलाया।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा:
“कुछ चीज़ें खेल भावना से भी बड़ी होती हैं.”
पाकिस्तान की नाराज़गी
पाकिस्तानी कोच माइक हेसन ने कहा,
“हम हाथ मिलाने के लिए तैयार थे, लेकिन भारतीय टीम ड्रेसिंग रूम जा चुकी थी। यह मैच का निराशाजनक अंत था।”
पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) ने तो मामला आईसीसी तक पहुँचा दिया है। चेयरमैन मोहसिन नक़वी ने आरोप लगाया कि मैच रेफ़री एंडी पाइक्रॉफ़्ट ने टॉस के दौरान दोनों कप्तानों को हाथ मिलाने से रोका।
भारतीय पक्ष की सफ़ाई
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने स्पष्ट किया है कि हैंडशेक कोई नियम नहीं, बल्कि सिर्फ़ एक गुडविल जेस्चर है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
👉 “रूल बुक में विरोधी टीम से हाथ मिलाने का कोई क़ानून नहीं है। ये बस परंपरा है, बाध्यता नहीं।”
एमसीसी के नियम क्या कहते हैं?
क्रिकेट के नियम बनाने वाले मेरिलीबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के अनुसार:
- सम्मान खेल की आत्मा है।
- कप्तान, विरोधी और अंपायर का सम्मान करें।
- जमकर और फ़ेयर खेलें।
- विरोधी की सफलता पर बधाई दें और मैच के अंत में धन्यवाद कहें।
लेकिन, हैंडशेक का कोई स्पष्ट नियम नहीं है।
असली सवाल
क्या भारत का हैंडशेक से इनकार सिर्फ़ खेल भावना का मुद्दा है, या फिर दोनों देशों के रिश्तों की परछाईं मैदान तक पहुँच गई?
👉 आपकी राय में, क्या टीम इंडिया ने सही किया या खेल की परंपरा को तोड़ा?